सोमवार, 29 अक्तूबर 2018

कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती - इसे साबित किया बिहार के मुकेश कुमार ने

जंहा चाह वंहा राह ये बात बिलकुल सटीक बैठती हैं बिहार के मुकेश कुमार पे |

आप ने कई लोगो को ये कहते सुना होगा की मेरे पास साधन नहीं थे , वर्ना आज मै कंहा होता तुम सोच भी नहीं सकते । मगर सच तो ये हैं की साधन होता तो भी वो भाई साहब कुछ नहीं कर पाते, जिन्होंने आप से ऐसा कह अपनी कमियों को छुपाते हुवे अपने आप को तीसमार खान बताते हैं ।  क्यंकि जिन्हे कुछ करना होता है वो किसी चीज (कमी) के आभाव में नहीं रुकते बल्कि उस कमी को दूर करने की कोशिश करते हैं ताकि उसके बाद वो अपने सपनो को पूरा कर सकें । 

जी हाँ आज मै आप सब को एक ऐसे नौजवान के बारे में बता राह हूँ, जिसने अपनी गरीबी, मज़बूरी या परेशानियों का हवाला न देकर उन सभी कमियों को दूर करने और अपने सपनो को पूरा करने के लिए बिहार से मुंबई आना उचित समझा और पुरे मेहनत लगन से जीतोड़ मेहनत कर अपने मंजिल की सीढ़ियों पे चढ़ना शुरू कर दिया और फिर सफलता का स्वाद भी चखा ।
दोस्तों बिहार के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले मुकेश कुमार अपने चार भाई बहनो में सबसे छोटे हैं , घर परिवार का बोझ मुकेश के पिता पे हैं , मुकेश के पिता मजदूरी कर जैसे तैसे परिवार का गुजर बसर कर पाते हैं , मगर उनमे एक खास बात हैं की वो अपने सभी बच्चो को पढ़ा लिखा कर सभ्य और कामयाब बनाना चाहते हैं |

जिस के लिए कभी भी अपनी गरीबी को बच्चो की खुशियों के बिच नहीं आने देना चाहते , और सभी बचे भी बहोत समझदार और होनहार हैं , मगर उन सब में सबसे छोटा बेटा मुकेश की सोंच और सपने उन सबसे अलग हैं , दरअसल मुकेश शुरू से अभिनेता बनना चाहता हैं , जिसके वजह से कई बार मुकेश को लोगो के हंसी का  पात्र बनना परता हैं , मगर मुकेश को कोई फरक नहीं परता हैं , और मुकेश अपने पिता से जिद कर बैठता हैं, मुकेश  के पिता बेटे को कई बार समझने की कोशिश करते हैं , मगर मुकेश अपनी जिद पे अरा रहता हैं , अंत में मुकेश के पिता मुकेश पे भरक जाते हैं , और अपनी असमर्थता जताते हुवे काफी भला बुरा कहते हैं , मगर अब भी मुकेश पे कोई असर नहीं परता हैं, और मुकेश समझ जाता हैं की अब जो करना हैं उसे खुद करना हैं , और फिर शुरू होता हैं मुकेश का असली सफर, और फिर एक दिन मुकेश घर से निकल परता हैं आपने सपनो को पूरा करने |

जिसके बाद मुकेश को न जाने क्या क्या  करना परता हैं मगर इन सब के बावजूद भी मुकेश अपनी हिम्मत नहीं  खोता हैं और निरंतर आगे बढ़ने की कोशिश करता रहता है , जिसके दौरान मुकेश की मुलाकात मंजीत यादव से होती हैं , जो की MFI फिल्म & टीवी इंस्टिट्यूट के सीनियर हैं , और मुकेश को तब जाकर पता चलता हैं की सफल अभिनेता बनने के लिए  एक्टिंग की ट्रेनिंग लेनी परती हैं |
मुकेश को पता चल जाता हैं की उसे कामयाबी क्यों नहीं मिल रही हैं , कोई भी प्रोडूसर उसे काम क्यों नहीं दे रहा हैं , उसके सपने पुरे क्यों नहीं हो रहे हैं , और फिर मुकेश तुरंत डिसीजन लेता हैं की अब उसे सिर्फ अभिनेता नहीं बल्कि सफल अभिनेता बनना हैं, और फिर मुकेश MFI फिल्म टीवी इंस्टिट्यूट से ट्रेंनिंग लेना शुरू करता हैं , जिसके दौरान अपनी कमियों को पहचान पाता हैं , और फिर  इंस्टिट्यूट से किये गए वादों  के मुताबिक उसे एक म्यूजिक एल्बम ऑफर होता हैं , शूटिंग होता हैं, और फिर शूटिंग के बाद मुकेश की तारीफ होना शुरू हो जाता हैं|
और इस प्रकार मुकेश का सपना सच हो जाता हैं , बहोत जल्द मुकेश का म्यूजिक एल्बम आप सब के बिच रिलीज होने वाला हैं , जिसके लिए मुकेश के ख़ुशी का ठिकाना नहीं हैं|

बुधवार, 24 अक्तूबर 2018

"SANDESH" Music video में देखने को मिलेगा रसियन मॉडल OKSANA SIDOROVA और ANUSHEEL CHAKARVARTI का जादू

"संदेश" ऐसा शब्द हैं जिसे सुनते लबो पे ख़ुशी तैर जाती हैं | मगर आज के इस इंटरनेट के क्रांति ने संदेश शब्द के साख को काम कर दिया हैं , और उसकी जगह अंग्रेजी के MASSAGE शब्द ने ले लिया हैं |
 मुझे तो लगता हैं की लगभग 70 प्रतिशत लोग संदेश शब्द भूल चुके हैं , 

मगर आज से 20 साल पहले के हिन्दुस्तान में संदेश का मतलब सिर्फ एक शब्द नहीं था , बल्कि इस एक शब्द के हज़ारो अर्थ थे , जैसे ही हम 
इस संदेश शब्द को सुनते थे , हमारे लबो पे खुशिया तैर जाती थी , कई खट्टी मिट्ठी यादे तजा हो जाया करती थी , कई बार तो हमारे अंदर डर भी पैदा हो जाता था और ऐसे ही न जाने कितने ख्याल हमारे आँखों के सामने तैर जाते थे .... जो की असल में संदेश शब्द का अर्थ हुवा करता था | और तो और ये शब्द  शायरों और  काबियो के  पसंदीदा शब्दों में से एक था .... जिसपे न जाने कितने गीत गजल बने , जैसे की "चिठ्ठी ना कोइ संदेश" फिल्म - दुश्मन , "Sandese Aate है" - फिल्म "बॉर्डर" , "चिठ्ठिये नी दर्द फिराक वालिये ले जा ले जा" फिल्म "हिना" और भी न जाने कितने गाने हैं जिसे हम अपने बचपन के दिनों में बड़े प्यार से सुना करते थे ।
अब आप सोच रहे होंगे की हम आप को ये सब क्यों बता रहे हैं?.  दरअसल बात ऐसी हैं की हाल ही में एक गाने की शूटिंग चल रही थी जंहा मै इत्तेफाक से पहुँच गया , एल्बम का नाम था "SANDESH 


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